27 फ़रवरी 2014

शब्दों के संदर्भ की महिमा

शब्दों के संदर्भ की महिमा

संदर्भ का जीवन में कितना महत्व है, यह जयपुर की एक घटना से सिद्ध होता है। जयपुर की एक धार्मिक सभा में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा ममता शर्मा के एक शब्द ने बवाल खड़ा कर दिया है। ममता ने कह दिया कि अंग्रेजी के ‘सेक्सी’ शब्द का मतलब लंपट या कामुक नहीं होता है। उसका मतलब होता है, सुंदर, आकर्षक, लुभावना! इसका गलत अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए।

ममता ने बिल्कुल सही कहा है। अमेरिका में इस शब्द का प्रयोग इन्हीं अर्थों में लोग अपनी पत्नी, बहन, सहेली और यहां तक कि माँ के लिए भी करते हैं। वहां इसका कोई बुरा नहीं मानता बल्कि बोलनेवाले और सुननेवाले खुश होते हैं। इसे भद्र-भाषा माना जाता है लेकिन भारत में इस शब्द का संदर्भ एक दम बदल जाता है। भारत में ‘सेक्स’ या ‘सेक्सी’ का अर्थ केवल एक ही है और वह इतना अभद्र माना जाता है कि लोग उसका प्रयोग करने से बचते हैं। पता नहीं क्यों, ममताजी इस शब्द की व्याख्या में उलझ गईं। बिना संदर्भ के भारतीय शब्द भी बड़े अनर्थकारी सिद्ध होते हैं। जैसे संस्कृत के सैंधव शब्द का अर्थ नमक और घोड़ा दोनों होते हैं। भोजन के समय सैंधव मांगने पर कोई घोड़ा खड़ा कर दे और युद्ध पर जाते हुए सैनिक को कोई नमक की पुड़िया पकड़ा दे तो क्या होगा? इसी प्रकार फारसी में उस्ताद का मतलब होता है – आचार्य, प्रोफेसर, विद्वान लेकिन हिंदी में उसका प्रयोग होता है, तिकड़मी, चालक और बदमाश के लिए भी! फारसी के ‘तुख्म’ शब्द को लेकर तो तलवारें चल सकती हैं। इसका अर्थ अंडा और वीर्य दोनों होते हैं। रूसी भाषा के ‘पूतिन’ शब्द के उच्चारण में आप ज़रा-सा फर्क कर दें तो ‘सीधा’, ‘गड्ढा’ बन जाता है। शब्दों और उनके प्रयोग की माया अपरंपार हैं।

---वेद प्रकाश वैदिक
( गुड़गाँव , हरियाणा )


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